क्या आप जानते हैं आपके निवेश का कितना हिस्सा टैक्स में चला जाता है?
आप फंड की कमी की शिकायत कर सकते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपके पास जितना भी फंड है उसे कहां निवेश करना सही फैसला होगा? ज्यादातर लोग अभी भी सिर्फ रिटर्न पर गौर करते हैं। जबकि रिटर्न के साथ इनफ्लेशन और रिटर्न पर लगने वाले टैक्स पर भी ध्यान देना जरूरी है।
PPF Vs FD
निवेश और रिटर्न के हिसाब से ये दोनों एक जैसे नजर आते हैं। दोनों में रिस्क कम है। रिटर्न भी लगभग एक जैसे होते हैं। PPF की निवेश अवधि 15 साल की होती है। जबकि FD अलग-अलग टेन्योर के लिए होता है।
दोनों पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत छूट मिलती है। FD से जो रिटर्न मिलता है वह टैक्सेबल होता है। जबकि PPF से मिले रिटर्न पर टैक्स नहीं देना पड़ता है।
NSC, KVP और सरकारी बॉन्ड
राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) और किसान विकास पत्र (KVP) में 8 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है। इनसे मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल होता है। ऐसे में अगर आप 30 फीसदी रिटर्न के दायरे में आते हैं तो टैक्स चुकाने के बाद आपके हाथ में सिर्फ 5.6 फीसदी रिटर्न मिलेगा।
इक्विटी म्यूचुअल फंड और स्टॉक
लॉन्ग टर्म में शेयरों में निवेश कम जोखिम वाला है। अगर आप सही रणनीति के साथ शेयरों में निवेश करते हैं तो घाटे की आशंका कम रहती है।
अगर आपको शेयर बाजार की जानकारी नहीं है तो इक्विटी म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं। अगर आप 1 साल से पहले अपने शेयर बेच देते हैं तो उसपर 15 फीसदी के हिसाब से शॉर्ट टर्म टैक्स चुकाना पड़ेगा। हालांकि अगर आप 1 साल के बाद शेयर बेचते हैं तो उस पर 10 फीसदी के हिसाब से लॉन्ग टर्म टैक्स चुकाना होगा। इसके लिए अपने निवेश और उसपर लगने वाले टैक्स पर गौर जरूर करें।
इंश्योरेंस Vs पेंशन प्लान
रिटायरमेंट की तैयारी की वजह से निवेशकों में पेंशन प्लान काफी लोकप्रिय रहा है। इस तरह के प्लान में एक निश्चित समय तक प्रीमियम दिया जाता है और उसके बाद पेंशन मिलना शुरू हो जाता है। पेंशन की रकम टैक्सेबल होती है। और आप जिस टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, उसके हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है।
FMP
अगर आप एक साल से ज्यादा लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP) अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। FMP में निवेशकों को डबल इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है। फाइनेंशियल ईयर खत्म होने से पहले आप FMP में निवेश कर सकते हैं और अगले फाइनेंशियल ईयर में इससे निकल सकते हैं।
गोल्ड
अगर आप गोल्ड में निवेश करते हैं और 3 साल से पहले बेच देते हैं तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है। तीन साल बाद गोल्ड में किया गया निवेश बेचने पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है। शॉर्ट टर्म में अगर आप गोल्ड बेचते हैं तो उससे होने वाली आमदनी आपकी टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाती है। आप जिस टैक्स ब्रैकेट में होते हैं, उसके हिसाब से टैक्स लगता है। लॉन्ग टर्म कैपिल गेन पर इंडेक्सेशन के साथ 20.8 फीसदी टैक्स लगता है।
Source :- Moneycontrol
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